आप सभी का MULTIPLE INDIA स्वागत है आज हमलोग लोकोक्तियां का अर्थ हिन्दी मे पढ़ने जा रहे है अगर किसी प्रकार का गलती हो तो हमे (COMMENTS BOX ) मे comments कर बताये ।
लोकोक्तियां का अर्थ हिन्दी मे
1. विधिकर लिखा को मेटन हारा- भाग्य को कोई बदल नहीं सकता।
पंडितजी ने अपनी पुत्री का विवाह शुभ मुहूर्त में जन्म पत्रिका मिला कर किया फिर भी दो माह बाद दुल्हे की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। सच है विधिकर लिखा को मेटन हारा।
2. वकीलों के हाथ परायी जेब में दूसरे से धन लेने का सर्वदा प्रयत्न करना।
तुम्हारी प्रकृति बन गई है जहाँ कहीं जाते हो उधार में सामान ले आते हो पुनः चुकाने का नाम नहीं लेते तुम्हारा तो सिद्धान्त हीबन गया वकीलों के हाथ परायी जेब में।
3. विष दे विश्वास न दे - विश्वास दिलाकर धोखा देना भयंकर होता है।
मित्र बन कर साझे में व्यापार प्रारम्भ किया तथा करोड़ों रुपये लेकर कहीं गायब हो गया, सच है विष दे विश्वास न दे।
4. विनाश काले विपरीत बुद्धि - प्रतिकूल समय में व्यक्ति का विवेक भी नष्ट हो जाता है।
सीता हरण के कारण लंकेश रावण के कुल का ही नाश हो गया,सही है विनाश काले विपरीत बुद्धि।
5. शौकीन बुढ़िया, चटाई का लहँगा - बुरी तरह का भयंकर शौक।
विधायक बनते ही नेताजी ने कार खरीद ली, जो धक्का देने पर ही चलती है, यह यही तो बात हुई कि शौकीन बुढ़िया, चटाईका लहँगा ।
6. सब धान बाइस पंसेरी - भले बुरे का अन्तर न कर सकना।
बोर्ड परीक्षा में विद्यालय के सभी छात्रों के विज्ञान में समान अंकों को देख प्रधानाचार्य ने कहा कि परीक्षक ने सब धान बाइस पंसेरी कर उत्तर पुस्तकें जांची।
7. समरथ को नहीं दोष गुसाँई - सामर्थ्यवान को कभी कोई दोषनहीं देता।
व्यापार में पिताजी के निर्णय से लाखों का घाटा हो गया किन्तु घर का कोई व्यक्ति कुछ न बोला। सही है समरथ को नहीं दोष गुसाँई।
8. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी - किसी समस्या के मूल कारणों को ही नष्ट करना।
अपने पुत्रों को दिन प्रतिदिन झगड़ते देख सेठ पिता ने बड़े पुत्र से कहा तुम अपनी दुकान अलग लगा लो ताकि न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी
9.नाच न जाने आँगन टेड़ा - अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए, साधनों को दोष देना।
महेश से गाना सुनाने का कहने पर वह कहने लगा साज अच्छेनहीं है, ठीक है नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
10.नानी के आगे ननिहाल की बातें - किसी जानकार के समक्ष बड़ी बड़ी बातें करना ।
किसी गाइड के सम्मुख ऐतिहासिक स्थल के विषय में बढ़-चढ़ कर बातें करने पर मित्र ने कहा-नानी के आगे ननिहाल की बातें ठीक नहीं।
11. नीम हकीम खतरे जान - अनुभव हीन व्यक्ति हानिकारक होता है ।
मकान बनाने का ठेका नये ठेकेदार को देने पर पड़ोसी ने कहा श्रीमान जी नीम हकीम खतरे जान होता है।
12. नेकी और पूछ पूछ - शुभ कार्य करने में क्या पूछना।
मैं गाँव में विद्यालय भवन बनवाना चाहता हूँ। पूछने पर सरपंच ने सेठ जी से कहा कि नेकी और पूछ पूछ ।
13. ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़े घर की सिल- बाहर बड़ों से अपमानित होने पर छोटों पर क्रोष प्रकट करना।
ऑफिस से अधिकारी से डॉट खाकर घर आये एक लिपिक द्वारा अपनी पत्नी को आते ही भला बुरा कहने पर माँ बोली बेटा ठोकर लगी पहाड़ की तोड़े घर की सिल।
14. डूबते को तिनके का सहारा - महत्त्वपूर्ण संकट में थोड़ी सहायता भी महत्त्वपूर्ण होती है।
महेश की दुकान में आग लगने से सारा सामान जल गया, पड़ोसी दुकानदारों ने इकट्ठे कर एक लाख रुपये उसकी सहायतार्थ दिये। जिससे वह पुन संभल गया ठीक है डूबते को तिनके का सहारा।
15. ढाक के तीन पात - सदैव एक सी स्थिति रहना ।
सेठ जी ने व्यापार बढ़ाते हुए तीन दुकानें खोल दी किन्तु वर्ष के अन्त में देखा कि लाभ में कुछ भी वृद्धि नहीं है स्थिति वही ढाक के तीन पात सी ही है।
16. तबेले की बला बन्दर के सिर-किसी दोषी की सजा किसीनिर्दोष को ।
चोरी तो किसी एक नौकर ने की किन्तु सेठजी ने सभी नौकरों को पदच्युत कर दिया। यह तो यही हुआ तबेले की बला बन्दर के सिर ।
17. तीन लोग से मथुरा न्यारी - सबसे भिन्न विचार होना।
रमेश मोहल्ले के किसी समारोह में सम्मिलित नहीं होता उसकी तो तीन लोक से मथुरा न्यारी है।
18. तन पर नहीं लत्ता पान खाये अलबत्ता - अभावग्रस्त होने पर भी ठाठ से रहना।
महेश का परिवार आर्थिक कठिनाइयों से झूझ रहा किन्तु महेश को कहीं जाना होता है तो किराये की कार लेकर जाता है। सच है तन पर नहीं लत्ता पान खाये अलबत्ता ।
19. तू डाल डाल मैं पात-पात होना । एक-दूसरे से अधिक चालाक होना
'भारत द्वारा पाकिस्तान के सीमा का उल्लंघन करने पर मुँह तोड़जवाब देने पर ऐसा प्रतीत होता है तू डाल डाल मैं पात पात ।
20. तेते पाँव पसारिए जेती लाम्बी सौर - अपने सामर्थ्य के अनुसारव्यय करना।
पुत्री के विवाह में धन का अपव्यय करते देख पिता ने पुत्र कहा बेटा तेते पाँव पसारिए जेती लाम्बी सौर।
21. जंगल में मोर नाचा किसने देखा - किसी के गुणों की पहचान देखने से ही होती है
शहर के लौटे मित्र द्वारा शहर में विद्यालय एवं चिकित्सालय निर्माण कराने की बातें करने पर मित्र ने कहा जंगल में मोर नाचा किसने देखा, गाँव में भी एक विद्यालय निर्माण करावो तो जाने।
22. - जल में रहकर मगर से बैर - आश्रयदाता से दुश्मनी अच्छी नहीं।
एक लिपिक द्वारा अधिकारी की शिकायत उच्च अधिकारियों से करने पर साथी लिपिक ने कहा, जल में रहकर मगर से बैर करना ठीक नहीं।
23. जाकै पैर न फटी बिवाई वह क्या जाने पीर पराई - स्वयं दुख भोगे बिना दूसरे के दुख का आभास नहीं कर सकता।
राजघराने से बने मंत्री द्वारा गरीबों की उपेक्षा पर लोग कहने लगेजाकै पैर न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई।
25. जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ - प्रयत्न करने वालों को सफलता अवश्य मिलती है।
गाँव के दस बारह युवक आई.ए.एस. परीक्षा की तैयारी में लगे थेकिन्तु दो ही युवक सफल हो सके जिन्होंने गहन अध्ययन किया।सही है जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ।
26. जिसकी लाठी उसकी भैंस - शक्तिशाली की सदैव विजय होती है ।
भूमाफिये गरीबों की जमीन हथिया कर बेदखल कर रहे हैं, सच हैजिसकी लाठी उसकी भैंस ।
27. जैसे साँपनाथ, वैसे नागनाथ - दुष्टता में दोनों का समान होना। एक निर्दलीय सांसद से पूछा कि आप कांग्रेस तथा भाजपा में से किसका समर्थन करोगे तो उन्होंने कहा मेरे लिए तो दोनों एक से हैजैसे साँपनाथ, वैसे नागनाथ ।
28. झूठ के पाँव कहाँ - झूठ अधिक दिन नहीं चल सकती।
एक महिला ने प्रेमी के साथ मिल कर अपने पति की हत्या कर दी, पुलिस ने महिला के साथ कुछ कठोरता का व्यवहार करते ही सच उगल दिया, सच है झूठ के पाँव कहाँ ?
29. अन्धे के हाथ बटेर लगना-अयोग्य को किसी अच्छी वस्तु का सहज में ही मिलना।
मोहन ने अपने मित्रों के कहने पर सरपंच हेतु फार्म भरदिया, कुछ कमी के कारण उसके विरोधी का फार्म निरस्त होने पर वह निर्विरोध सरपंच बन गया। अरे, यह तो अन्धे के हाथ बटेर लग गया।
30. अन्धों में काना राजा-मूर्खों में अल्पज्ञ भी बुद्धिमान समझा जाताहै ।
अनपढ़ ग्रामीणों में दसवीं पास पटवारी भी विद्वान समझा जाता है। सच है अन्धों में काना राजा होता है।
31. अन्धेर नगरी चौपट राजा- अजागरूक जनता होगी तो कुप्रशासन ही होगा।
जनता रिश्वत देकर अपना गलत कार्य भी करवा लेती है फलतःअधिकारी भ्रष्ट बन गये हैं। ठीक ही है अन्धेर नगरी और चौपट राजा ।
32 . अपनी अपनी ढपली अपना-अपना राग एकमत का अभाव, मनमानी करना।
प्रादेशिक दल अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग अलापने में लगे हैं जिससे राष्ट्रीय हितों की प्रत्यक्ष उपेक्षा हो रही है।
33 . अपनी करनी पार उतरनी - स्वयं का परिश्रम ही काम आता है।
परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए स्वयं को ही प्रयत्न करना होगा, कोई और मदद नहीं कर सकता क्योंकि अपनी करनी पार उतरनी होती है।
34. ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया - भाग्य के कारण सांसारिक भिन्नता ।
सड़क पर एक और शव यात्रा निकल रही थी तो दूसरी ओर बरात निकलते देख मैं सोचने लगा कि ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया ।
35. उत्तर गई लोई तो क्या करेगा कोई - निर्लज्ज को किसी बात की चिन्ता नहीं होती।
वह कई बार चौरी के अपराध में जेल जा चुका है अतः उस पर कहने का कोई प्रभाव नहीं होने का, क्योंकि उतरगई लोई तो क्या करेगा कोई।
36. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे - अपना अपराध न मानकर पूछने वाले पर हावी होना।
पाकिस्तान द्वारा भारत को आतंकवादी देश कहना इसी बात कोचरितार्थ करता है कि उल्टा चोर कोटवाल को डाँटे।
37. ऊँची दुकान फीका पकवान - प्रदर्शन अधिक वास्तविकता कम।
पब्लिक स्कूल का नाम सुन बच्चे का प्रवेश कराया किन्तु स्कूलका बोर्ड परीक्षा परिणाम पचास प्रतिशत ही रहा। ठीक है ऊँचीदुकान फीका पकवान ।
38. ऊँट किस करवट बैठता है- परिणाम में निश्चितता का अभाव होना।
चुनाव में सभी दलों के कार्यकर्ताओं ने भरसक प्रयत्न किया,वोट पड़ चुके हैं, अब तो परिणाम के दिन ही पता चलेगा कि ऊँट किस करवट बैठता है।
39. ऊँट के मुँह में जीरा - आवश्यकता अधिक पूर्ति बहुत कम।
राजस्थान में अकाल की भयंकर स्थिति होने पर भी केन्द्र नेकेवल 10 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किये यह ऊँट के मुँह में जीरामात्र है।
40. ऊँट की चोरी झुके झुके (निउरे निउरे)-छिपकर बुरे काम करने का प्रयत्न ।
रिश्वत की राशि बन्द लिफाफे में लेते देख पड़ोसी लिपिक ने कहा- ऊँट की चोरी और झुके झुके।
41 . ऊधो का लेना, न माधो का देना - किसी से कोई मतलब नहीं होना ।
राधेलाल कभी किसी को वोट देने नहीं जाते, उनका जीवन निःस्वार्थ, निस्पृह एवं तटस्थ है। सचमुच उनकी वृत्ति तो है ऊधो का लेना न माधो का देना।
42. एक अनार सौ बीमार - वस्तु कम चाहने वाले अधिक।
जब एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति हेतु हजारों आवेदन पत्र आ गये तो अधिकारी ने कहा यह तो यही बात हुई एक अनार सौ बीमार ।
43. एक और एक ग्यारह होते हैं - संगठन में बड़ी शक्ति होती है।
दोनों पड़ोसियों द्वारा आतंकवादियों का मुकाबला करने पर आतंकवादी भाग छूटे। सच ही है एक और एक ग्यारह होते हैं।
44. एक चुप सौ को हरावे - मौन रहने से झगड़ा शान्त हो जाता है।
सास बहू में रोज ही तू-तू मैं-मैं होते देख पड़ोसिन ने बहू से कहा कि एक चुप सौ को हराती है।
45. एक तो करेला, दूजे नीम चढ़ा - एक दोष के साथ दूसरे दोष का जुड़ना ।
सुरेश शराब तो पीता ही था पिताजी की मृत्यु के बाद तो उसके जुआ खेलना भी आरम्भ कर दिया। सच है एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा।
46 . ओस चाटे प्यास नहीं बुझती - थोड़ी वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती।
व्यापार में करोड़ों का घाटा रिश्तेदारों से हजारों माँग कर पूरा नहीं किया जा सकता क्योंकि ओस चाटे प्यास नहीं बुझती है।
47 . कंगाली में आटा गीला- मुसीबत पर मुसीबत आना।
पिछले सप्ताह दिनेश के पिता का निधन हो गया तथा इस सप्ताह घर में आग लगने से सब बहुत नष्ट हो गया। सच है कंगाली में आटा गीला होता ही है।
48. कहाँ राजा भोज कहां गंगू तेली - आर्थिक स्थिति में बड़ा अन्तर होना।
49. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा - बेमेल वस्तुओं का संग्रह ।
डॉ. शर्मा ने कई विद्वानों की पुस्तकों की सामग्री को अपनी पुस्तक में बेतरतीब ढंग से ठूंस दिया वह तो कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा कहावत को चरितार्थ करती है।
50. काठ की हाँडी दुबारा नहीं चढ़ती- छल कपट का व्यवहार हमेशा नहीं चलता ।
पुराने पैसे लौटाए नहीं बल्कि और माँगने आ गये, अब मैं आपकी बातों में आने वाला नहीं। श्रीमान काठ की हाँडी दुबारा नहीं चढ़ती।
51. काबुल में क्या गधे नहीं होते ? - बुराइयाँ (अपवाद) सब जगह मिलती हैं। (पायी जाती हैं)
शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय का परीक्षा परिणाम अच्छा न रहने पर मित्र द्वारा आश्चर्य व्यक्त करने पर मैंने कहा काबूल में क्या गधे नहीं होते क्या?
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